आजादी के अमृतकाल में पूर्ण सशक्त हो जाएंगे आदिवासी समुदाय: मुंडा
05-Apr-2022 10:25 PM 6047
नयी दिल्ली 05 अप्रैल (AGENCY) सरकार ने आज कहा कि आज़ादी के अमृतकाल में हाशिये पर पड़े तमाम अतिपिछड़े आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर उन्हें इस प्रकार से सशक्त किया जाएगा कि वे आजादी के शताब्दी वर्ष तक समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर तरक्की करने लगेंगे। केन्द्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। सदन ने बाद में ध्वनिमत से राज्यसभा से पहले ही पारित हो चुके इस विधेयक को पारित कर दिया। झारखंड के देशवारी, गंझू, दौतलबंदी (द्वालबंदी), पटबंदी, राउत, माझिया, खौरी (खेरी), तमरिया (तमड़िया) और पुरान समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए लाये गये इस विधेयक से (1) संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश 1950, और (2) संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश 1950 में संशोधन होना है। श्री मुंडा ने चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने समर्थन जरूर किया है लेकिन यह भी कहा है कि यह सब राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस ने सबसे लंबे काल तक शासन किया है, वह खुद यह लाभ क्यों नहीं उठा पायी। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष तक झारखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश एवं त्रिपुरा आदि में तमाम अति पिछड़े आदिवासी समुदायों को कांग्रेस ने तरक्की करने का अधिकार नहीं दिया। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन समुदायों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में आज़ादी के अमृतकाल में ऐसे सभी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का ददर्जा देने के लिए कई विधेयक पारित कराये गये हैं। हम चाहते हैं कि आजादी के अमृतकाल में सभी पिछड़े आदिवासी समुदायों को 2047 में आजादी के शताब्दी वर्ष तक इतना सशक्त कर दिया जाये कि वे समाज की मुख्य धारा में शामिल होकर खुद ही तरक्की करने लगें। श्री मुंडा ने कहा कि उन्होंने ऐसे 75 समुदायों की पहचान की है कि जिनकी आबादी में कमी आ रही है अथवा स्थिर हो गयी है। उन्होंने स्वयं पहल कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि वे अपने अपने राज्य में इन समुदायों की अद्यतन जानकारी मुहैया करायें ताकि उनके सशक्तीकरण के लिए उपयुक्त कदम उठाये जा सकें। इस विधेयक को विगत 30 मार्च को राज्यसभा से पारित किया गया था। लोकसभा से पारित होने के साथ इस पर संसद की मुहर लग गयी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह अमल में आ जाएगा।...////...
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