12-Nov-2021 08:20 PM
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संविदा डाॅक्टर्स की सेवाशर्तों को और बेहतर बनाने के अनुमोदन के लिये मंत्रीपरिषद् में जायेगा प्रस्ताव
अधिकारियों ने आश्वस्त कराया-डाॅक्टर्स के रिक्त पदों पर शीघ्र करेंगे पूर्ति
मध्यप्रदेश की सभी जेलों में नियमित चिकित्सक, संविदा चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण कारागार अधिनियम, 1894 व इसके अन्तर्गत निर्धारित नियमों का पालन न होने के कारण सभी जेलों में चिकित्सकों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु राज्य शासन का पक्ष रखने के लिये महानिदेशक, जेल एवं सुधारात्मक सेवायें, मध्यप्रदेश श्री अरविन्द कुमार, आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें, मध्यप्रदेश श्री आकाश त्रिपाठी एवं संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्यप्रदेश श्री पंकज शुक्ला शुक्रवार (12 नवंबर, 2021) को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के समक्ष उपस्थित हुये।
इन अधिकारियों ने जेलों में संविदा चिकित्सकों का मानदेय 65,000 रूपये तक बढ़ाने एवं अन्य संविदा पर नियुक्त चिकित्सकों की भांति जेल में नियुक्त संविदा चिकित्सकों को भी तीन वर्ष की सेवा उपरान्त पीजी कोर्स में प्रवेश लेने की सुविधा देने के संबंध में विधिवत् प्रस्ताव अनुमोदन हेतु राज्य मंत्रीपरिषद के समक्ष रखवाने के लिये आयोग को आश्वस्त किया।
आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें श्री आकाश त्रिपाठी ने आयोग को बताया कि जेलों में चिकित्सक/संविदा चिकित्सकों की अनुपलब्धता की स्थिति में जेलों में वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा स्थानीय स्तर पर संबंधित जिला जेल अधीक्षक के अनुरोध पर चिकित्सक की व्यवस्था कर दी जायेगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक श्री पंकज शुक्ला ने भी आयोग को आश्वस्त किया कि जेलों में संविदा चिकित्सकों के रिक्त पदों की पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र कर दी जायेगी।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा इस विषय में राज्य शासन द्वारा की गई कार्यवाही की समीक्षा दो माह बाद पुनः की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि आयोग में प्रचलित प्रकरण क्र. 5155/इंदौर/2017, प्रकरण क्र. 9387/गुना/2018 एवं प्रकरण क्र. 6313/उज्जैन/2019 में यह समान तथ्य सामने आया है कि जेलों में चिकित्सकों की कमी के कारण बंदियों की नियमित जांच-परीक्षण एवं समुचित उपचार कार्य बेहद प्रभावित हो रहा है। इन तीनों प्रकरणों में आयोग द्वारा निरंतर सुनवाई की जा रही है। इसी अनुक्रम में आयोग द्वारा उपरोक्त तीनों अधिकारियों को 12 नवम्बर को एक साथ आयोग के समक्ष आकर वस्तुस्थिति बताने को कहा गया था।
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